ई-शिक्षाकोष पोर्टल से उपलब्ध होंगे परीक्षा के प्रश्नपत्र और गृहकार्य
भगवानपुर / भागलपुर / पटना / नई दिल्ली। बिहार सहित देशभर के सभी सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों के लिए शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव सामने आया है। अब राज्य के सभी प्रारंभिक विद्यालयों को मासिक, प्रथम त्रैमासिक और द्वितीय त्रैमासिक परीक्षा के प्रश्नपत्र ई-शिक्षाकोष पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही जून महीने का एसाइनमेंट वर्क भी इसी पोर्टल के जरिए स्कूलों को भेजा जाएगा।
राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) ने इस संदर्भ में स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। यह व्यवस्था सभी सरकारी एवं सहायता प्राप्त प्रारंभिक विद्यालयों में लागू होगी। परीक्षाएं और असाइनमेंट वर्क अब इसी पोर्टल के माध्यम से संचालित किए जाएंगे। गर्मी की छुट्टियों के लिए भी विद्यार्थियों को गृहकार्य ई-शिक्षाकोष से दिया जाएगा।
वार्षिक परीक्षा का वार्षिक कैलेंडर जारी
- मई: मासिक परीक्षा
- जून: प्रथम त्रैमासिक परीक्षा
- जुलाई-अगस्त: मासिक परीक्षा
- सितंबर: अर्धवार्षिक परीक्षा
- अक्टूबर-नवंबर: मासिक परीक्षा
- दिसंबर: द्वितीय त्रैमासिक परीक्षा
- जनवरी-फरवरी: मासिक परीक्षा
- मार्च: वार्षिक परीक्षा
अब कक्षा 5 तक की पढ़ाई मातृभाषा और स्थानीय भाषा में
भागलपुर। शिक्षा मंत्रालय और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार अब कक्षा पांचवीं तक के बच्चों की पढ़ाई स्थानीय भाषा या मातृभाषा में की जाएगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा स्कूल शिक्षा 2023 (NCFSE 2023) के अनुसार यह व्यवस्था अनिवार्य की गई है।
CBSE ने 22 मई 2025 को सभी संबद्ध स्कूलों को निर्देश जारी किया है कि वे जुलाई 2025 तक अपने विद्यालयों में शिक्षण के लिए एक स्थानीय भाषा का चयन करें। विशेषकर प्री-प्राइमरी से कक्षा 2 तक की शिक्षा को फाउंडेशनल स्टेज कहा गया है, जिसमें मातृभाषा या घरेलू भाषा में पढ़ाई अनिवार्य है। वहीं कक्षा 3 से 5 तक के लिए भी मातृभाषा को प्राथमिकता देने की सिफारिश की गई है, हालांकि माध्यम बदलने का विकल्प भी दिया गया है।
CBSE की निदेशक अकादमिक डॉ. प्रज्ञा एम. सिंह के अनुसार सभी राज्यों के अलग-अलग जिलों में चलन में रहने वाली भाषाएं ही बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रयोग में लाई जाएंगी। इसके लिए संबंधित स्कूलों में स्थानीय भाषा में शिक्षण कराने के लिए शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। साथ ही बारहवीं तक के छात्रों को भी एक स्थानीय भाषा पढ़ने की स्वतंत्रता दी जाएगी।
CBSE ने मई 2025 के अंत तक एनसीएफ कार्यान्वयन समिति गठित करने का निर्देश भी सभी स्कूलों को दिया है, जो छात्रों की मातृभाषा की पहचान कर आवश्यक भाषा संसाधनों को सुनिश्चित करेगी।
बैंक खातों की जमा बीमा सीमा ₹10 लाख करने की तैयारी में केंद्र सरकार
नई दिल्ली। केंद्र सरकार बैंक खाताधारकों को राहत देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने की तैयारी में है। सरकार बैंक खातों में जमा राशि की बीमा सीमा को वर्तमान ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹10 लाख करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इस संबंध में अगले छह महीनों के भीतर निर्णय लिया जा सकता है।
वर्तमान में, डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) के तहत प्रति जमाकर्ता, प्रति बैंक ₹5 लाख तक की जमा बीमा सुविधा दी जाती है। इस संस्था का स्वामित्व भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास है। यदि कोई बैंक दिवालिया हो जाता है, तो खाताधारक को 90 दिनों के भीतर बीमित राशि लौटाई जाती है।
इस प्रस्ताव के तहत सरकार यह आकलन कर रही है कि इस नई बीमा सीमा में कितने खाताधारकों को लाया जा सकता है और सरकार की गारंटी देने की क्षमता क्या होगी। यह कदम न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में आए संकट के बाद उठाया जा रहा है, जहां RBI ने बैंक की निकासी पर रोक लगा दी थी और प्रशासक नियुक्त किया गया था।
अब तक जमा बीमा सीमा का इतिहास:
- 1962: ₹1,500
- 1976: ₹20,000
- 1980: ₹30,000
- 1993: ₹1 लाख
- 2020: ₹5 लाख
- 2025 (प्रस्तावित): ₹10 लाख
31 मई को राज्यभर के स्कूलों में होगी अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी
पटना। बिहार के सभी सरकारी विद्यालयों में 31 मई को अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने इस बार संगोष्ठी की थीम रखी है — “पढ़ेंगे, बढ़ेंगे और सीखेंगे हम।”
इस संगोष्ठी का उद्देश्य अभिभावकों को विद्यालय द्वारा दी जाने वाली सहायता, शिक्षण सामग्री और गर्मी की छुट्टी के दौरान बच्चों के सतत् अधिगम में उनकी भूमिका के प्रति जागरूक बनाना है।
संगोष्ठी में इन बिंदुओं पर चर्चा की जाएगी:
- बच्चों की शैक्षणिक प्रगति और उपस्थिति
- पोशाक, स्वच्छता, नाखून और बालों की नियमित जांच
- भोजन, पोषण और बच्चों का व्यवहार
- घर में पढ़ाई के लिए एक विशेष कोना बनाना
विद्यालयों में इस दिन टीएलएम किट, एफएलएन किट, पाठ्यपुस्तकें, अभ्यास पुस्तिका, स्टूडेंट डायरी आदि की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। बच्चों को दिए गए गृहकार्य के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। “हर घर एक पाठशाला” अभियान के तहत, अभिभावकों से अनुरोध किया गया है कि वे पढ़ाई के लिए घर में एक शांत, प्रेरणादायक कोना बनाएं — जहाँ बच्चों को ध्यान केंद्रित करने में मदद मिल सके।
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