1. एलएनएमयू ने बीएड और शिक्षा शास्त्री प्रवेश परीक्षा का कार्यक्रम किया जारी, आज से आवेदन शुरू
बिहार के बीएड कॉलेजों में नामांकन अब संयुक्त प्रवेश परीक्षा (सीईटी-बीएड 2025) के आधार पर होगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय को लगातार छठी बार इस परीक्षा के आयोजन के लिए नोडल विश्वविद्यालय नियुक्त किया गया है। शुक्रवार, 4 अप्रैल से बीएड और शिक्षा शास्त्री में दो वर्षीय कोर्स के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है। सामान्य शुल्क के साथ आवेदन की अंतिम तिथि 27 अप्रैल निर्धारित की गई है। वहीं, विलंब शुल्क के साथ छात्र 28 अप्रैल से दो मई तक आवेदन कर सकेंगे।
स्टेट नोडल पदाधिकारी प्रोफेसर अशोक कुमार मेहता ने बताया कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन 24 मई को संभावित है। एडमिट कार्ड 18 मई को जारी किए जाएंगे। परीक्षाफल 10 जून को घोषित किए जाने की संभावना है। यदि किसी आवेदन में त्रुटि पाई जाती है, तो छात्रों को 3 से 6 मई तक ऑनलाइन सुधार का अवसर दिया जाएगा। इस बार राज्य में 37,300 से अधिक सीटों पर नामांकन की संभावना है, जबकि पिछले वर्ष 208818 छात्रों ने आवेदन किया था।
2. 32,688 प्रधान शिक्षकों को मिला जिला आवंटन, 2645 से फिर मांगा गया विकल्प
शिक्षा विभाग ने बिहार लोक सेवा आयोग से चयनित 35,333 प्रधान शिक्षकों में से 32,688 को जिलों में आवंटित कर दिया है। अब ये शिक्षक अपने-अपने जिले के तीन-तीन प्रखंडों का विकल्प देंगे, जिसके बाद उन्हें विद्यालय आवंटित किया जाएगा। शेष 2645 प्रधान शिक्षकों का जिला आवंटन नहीं हो सका है। उनसे पुनः तीन-तीन जिलों का विकल्प मांगा गया है।
विभाग की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि सभी चयनित प्रधान शिक्षकों ने पहले तीन-तीन जिलों का विकल्प दिया था। इनमें से अधिकांश को उनके प्रथम, द्वितीय और तृतीय विकल्प के आधार पर सॉफ्टवेयर के माध्यम से जिला आवंटन किया गया है। अब जिला आवंटन के पश्चात सभी शिक्षक 5 से 12 अप्रैल तक तीन-तीन प्रखंडों का विकल्प ऑनलाइन देंगे। इसके बाद उन्हें संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी विद्यालय आवंटित करेंगे।
3. पश्चिम बंगाल में 25 हजार शिक्षक भर्ती रद्द, सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा
पश्चिम बंगाल में 2016 में हुई शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर बड़ा फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें 25 हजार शिक्षकों की भर्ती को रद्द कर दिया गया था। सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा कि चयन प्रक्रिया में व्यापक स्तर पर हेराफेरी और धोखाधड़ी के प्रमाण मिले हैं, जिससे इसकी वैधता और विश्वसनीयता समाप्त हो गई है।
मामले में हाईकोर्ट ने 22 अप्रैल 2024 को सीबीआई जांच का आदेश दिया था और सभी शिक्षकों को वेतन ब्याज समेत वापस करने का निर्देश भी दिया था। राज्य सरकार और 123 अन्य याचिकाकर्ताओं ने इस फैसले को चुनौती दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करती हैं, लेकिन यह निर्णय मानवीय दृष्टिकोण से स्वीकार्य नहीं है। हालांकि, राज्य सरकार फैसले का पालन करेगी और कानूनी विकल्पों पर विचार करेगी।
4. सक्षमता परीक्षा-3: 40 हजार शिक्षक नहीं बनना चाहते राज्यकर्मी, सिर्फ 32011 ने किया आवेदन
बिहार में कार्यरत लगभग 40 हजार नियोजित शिक्षकों ने राज्यकर्मी बनने की इच्छा नहीं जताई है। इसके पीछे प्रमुख कारण हैं—ट्रांसफर की आशंका, अनुभव की अनदेखी, उम्र अधिक होना और वेतन की अनियमितता। सक्षमता परीक्षा-3 के लिए अब तक केवल 32,011 शिक्षकों ने आवेदन किया है, जिनमें से 62.66% यानी 19,918 आवेदन जिलास्तर से स्वीकृत हो चुके हैं। शेष 12,000 शिक्षकों के फॉर्म निर्धारित योग्यता न होने के कारण रिजेक्ट कर दिए गए हैं।
शिक्षकों का कहना है कि राज्यकर्मी का लाभ उन्हीं को मिलेगा, जिनकी नियुक्ति 8 से 12 वर्ष पूर्व हुई है, जबकि 2006-07 के नियोजित शिक्षक अब सेवानिवृत्ति के करीब हैं। ऐसे में उनके लिए नियोजित शिक्षक के रूप में ही घर के पास काम करना बेहतर है, क्योंकि रिटायरमेंट के बाद पेंशन की भी व्यवस्था नहीं है।
5. 8वीं पास बच्चों को पंचायत के उच्च माध्यमिक स्कूल में ही लेना होगा नामांकन, कई छात्राएं नाराज
शिक्षा विभाग के नए निर्देशों से कजरा शिक्षांचल के सैकड़ों छात्रों की परेशानी बढ़ गई है। विभाग ने आदेश जारी किया है कि शैक्षणिक सत्र 2025-26 से आठवीं पास बच्चे अपने पंचायत के उच्च माध्यमिक विद्यालय में ही नामांकन लेंगे। यदि कोई छात्र दूसरे पंचायत के स्कूल में नामांकन लेना चाहता है, तो उसे जिला शिक्षा पदाधिकारी को आवेदन देकर उपयुक्त कारण बताना होगा। अन्यथा उसे अपने पंचायत के स्कूल में ही नामांकन लेना होगा।
रामचंद्रपुर घोधी के उत्क्रमित मध्य विद्यालय से आठवीं पास कर चुके बच्चों को अब 10 किलोमीटर दूर लहसोरखा जाना होगा, जो एक पहाड़ी और सुनसान रास्ते से होकर जाता है। छात्राओं ने स्पष्ट कहा है कि वे इतनी दूर नहीं जाएंगी। उनका कहना है कि पहले वे जिस स्कूल में पढ़ती थीं, वह केवल 2 किलोमीटर दूर था। वहीं खुद्दीवन, राजपुर और बरियारपुर जैसे गांवों के बच्चों को भी परेशानी हो रही है क्योंकि उनका नजदीकी स्कूल अब दूसरे पंचायत में है और उन्हें अधिक दूरी तय करनी पड़ेगी।