*पटना, ब्यूरो*: शिक्षा विभाग ने स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को मध्याह्न भोजन योजना के कार्य से मुक्त करने का निर्णय लिया है, ताकि वे अपना पूरा ध्यान बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर केंद्रित कर सकें। विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं और अधिकारियों को इसे लागू करने के लिए रणनीति तैयार करने को कहा है।
**मध्याह्न भोजन की नई व्यवस्था पर विचार**
विभाग में इस बात पर भी विचार चल रहा है कि ग्राम पंचायत स्तर पर एक ही स्थान पर भोजन तैयार किया जाए और फिर उसे सभी स्कूलों में पहुंचाया जाए। इससे प्रधानाध्यापकों की भूमिका नगण्य रहेगी और वे सिर्फ शैक्षणिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
**तमिलनाडु मॉडल की होगी समीक्षा**
मध्याह्न भोजन योजना को और बेहतर तरीके से संचालित करने के लिए विभाग की एक टीम जल्द ही तमिलनाडु का दौरा करेगी, जहां यह योजना पूरे देश में मॉडल के रूप में जानी जाती है। इस टीम में मुख्यालय के अधिकारियों के साथ कुछ जिला शिक्षा पदाधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा।
**अगले महीने तक होगा अंतिम निर्णय**
अगले महीने तक इस योजना पर अंतिम निर्णय लेने की उम्मीद है, जिससे प्रधानाध्यापकों को मध्याह्न भोजन कार्य से पूरी तरह से मुक्त किया जा सकेगा। वर्तमान में प्रधानाध्यापक ही इस योजना की निगरानी और वेंडरों के खातों में राशि स्थानांतरित करने का कार्य करते हैं।
**(विशेष) विभाग के वरिष्ठ अधिकारी योजना को जल्द से जल्द लागू करने के लिए प्रयासरत हैं, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सके।**