1. पटना: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने STET 2024 रिजल्ट कार्ड डीईओ कार्यालयों में भेजा
पटना, 19 मार्च 2025: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) ने माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (STET) 2024 के रिजल्ट कार्ड सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) कार्यालयों में भेज दिए हैं। बोर्ड ने यह कदम शिक्षक बनने की राह देख रहे अभ्यर्थियों को सुविधा प्रदान करने के लिए उठाया है। समिति ने सभी डीईओ को निर्देश जारी किया है कि वे अपने-अपने कार्यालयों में रिजल्ट कार्ड के वितरण की समुचित व्यवस्था करें और इसे अभ्यर्थियों तक पहुंचाएं। इसके साथ ही, बोर्ड ने यह भी सुनिश्चित किया है कि वितरण प्रक्रिया पारदर्शी और व्यवस्थित हो। रिजल्ट कार्ड के साथ सभी डीईओ कार्यालयों में एक पंजी भी भेजी गई है, जिसमें वितरण का पूरा विवरण दर्ज किया जाएगा।
अभ्यर्थियों को रिजल्ट कार्ड प्राप्त करने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज साथ लाने होंगे। बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि रिजल्ट कार्ड केवल तभी दिया जाएगा, जब अभ्यर्थी अपने प्रवेश पत्र की छायाप्रति, वेब कॉपी, और भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा निर्गत फोटोयुक्त वैध पहचान पत्र की मूल प्रति प्रस्तुत करेंगे। इन दस्तावेजों की जांच के बाद ही डीईओ कार्यालय अभ्यर्थियों को रिजल्ट कार्ड सौंपेगा। यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी या फर्जीवाड़े को रोका जा सके। बिहार में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने के लिए बोर्ड लगातार प्रयासरत है, और यह कदम उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
2. बेगूसराय: TRE-3 काउंसेलिंग में फर्जीवाड़ा, यूपी के तीन शिक्षक अभ्यर्थी गिरफ्तार
बेगूसराय, 19 मार्च 2025: बिहार में शिक्षक भर्ती परीक्षा (TRE-3) की काउंसेलिंग के दौरान बेगूसराय जिले के डीआरसीसी (जिला पंजीयन सह परामर्श केंद्र) में एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। उत्तर प्रदेश के चार शिक्षक अभ्यर्थियों ने फर्जी आधार कार्ड के सहारे काउंसेलिंग में हिस्सा लिया था, जिनमें से तीन को मौके पर ही पकड़ लिया गया, जबकि एक अभ्यर्थी मौके से फरार हो गया। इस घटना ने बिहार में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) राजदेव राम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए चारों अभ्यर्थियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। पकड़े गए तीन अभ्यर्थियों को पुलिस के हवाले कर दिया गया है, जबकि फरार अभ्यर्थी की तलाश जारी है।
पकड़े गए अभ्यर्थियों की पहचान पप्पू कुमार भारती (बलिया, यूपी), अखिलेश कुमार (बलिया, यूपी), और शिवशंकर गोंड (कुशीनगर, यूपी) के रूप में हुई है। जांच में पता चला कि ये सभी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के निवासी हैं, लेकिन इन्होंने बिहार के विभिन्न जिलों का फर्जी पता देकर आधार कार्ड बनवाया था। पप्पू कुमार भारती ने सीवान का, अखिलेश कुमार ने भोजपुर का, और शिवशंकर गोंड ने पश्चिम चंपारण और गोपालगंज का पता अपने आधार कार्ड में दर्ज कराया था। चौथा अभ्यर्थी दीपक कुमार (गाजीपुर, यूपी) जांच के दौरान अपने प्रमाण पत्र छोड़कर भाग निकला। डीईओ राजदेव राम ने बताया कि इन अभ्यर्थियों ने शिक्षक की नौकरी हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया था।
अखिलेश कुमार के आधार कार्ड की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। उसने 24 सितंबर 2015 को बलिया में आधार कार्ड बनवाया था, जिसमें उसकी जन्मतिथि 1 जुलाई 1997 दर्ज थी। लेकिन बिहार में नौकरी पाने के लिए उसने 16 नवंबर 2024 को आधार कार्ड में डेमोग्राफिक बदलाव करवाया और अपना पता खवासपुर (भोजपुर) दिखाया, साथ ही जन्मतिथि को बदलकर 1 जुलाई 1998 कर दिया। इसी तरह, शिवशंकर गोंड ने अपनी उम्र आठ साल कम दिखाने के लिए आधार कार्ड में छेड़छाड़ की। डीईओ ने कहा कि इस घटना के बाद शिक्षा विभाग पूरी तरह सतर्क हो गया है और भविष्य में ऐसे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।
3. पटना: पटना विश्वविद्यालय में शिक्षकों की हाजिरी अब ऑनलाइन होगी
पटना, 19 मार्च 2025: पटना विश्वविद्यालय (पीयू) और इसके अंगीभूत कॉलेजों में अब शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज की जाएगी। यह व्यवस्था बिहार के सरकारी स्कूलों की तर्ज पर लागू की जा रही है ताकि विश्वविद्यालय में कार्यरत कर्मियों की उपस्थिति पर नजर रखी जा सके और पारदर्शिता सुनिश्चित हो। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने इस संबंध में बुधवार को पटना विश्वविद्यालय के कुलपति को एक पत्र लिखा है, जिसमें इस नई व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश दिया गया है।
इसके लिए एक विशेष मोबाइल एप विकसित किया जाएगा, जिसे शिक्षकों और कर्मियों को अपने मोबाइल फोन में इंस्टॉल करना होगा। इस एप के जरिए वे विश्वविद्यालय परिसर के 500 मीटर के दायरे में अपनी लाइव फोटोग्राफ के साथ उपस्थिति दर्ज कर सकेंगे। वहीं, छात्र-छात्राओं की हाजिरी वर्ग कक्ष के अंदर टैब आधारित बायोमेट्रिक सिस्टम के जरिए ली जाएगी। यह नई तकनीक न केवल उपस्थिति को डिजिटल बनाएगी, बल्कि इसे और सुरक्षित व विश्वसनीय भी बनाएगी। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि वेतन का भुगतान इसी ऑनलाइन हाजिरी के आधार पर किया जाएगा। यदि जरूरत पड़ी, तो अन्य बायोमेट्रिक विधियों का भी उपयोग किया जा सकता है।
यह कदम शिक्षा विभाग के उस व्यापक प्रयास का हिस्सा है, जिसके तहत राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों में डिजिटल तकनीक को बढ़ावा दिया जा रहा है। अधिकारियों का मानना है कि इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि अनियमितताओं पर भी अंकुश लगेगा। पटना विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस निर्देश का स्वागत किया है और जल्द ही इस व्यवस्था को लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है।
4. नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- मुफ्त योजनाएं कब तक चलेंगी?
नई दिल्ली, 19 मार्च 2025: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मुफ्त राशन मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से कड़ा सवाल किया कि मुफ्त की योजनाएं आखिर कब तक जारी रहेंगी। यह मामला कोविड-19 महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं को लेकर स्वतः संज्ञान में शुरू की गई एक याचिका से जुड़ा है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने केंद्र सरकार से गरीबों को वितरित किए गए मुफ्त राशन की स्थिति पर विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा और सुनवाई को स्थगित कर दिया।
जस्टिस सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान कहा कि कुछ राज्य अपनी प्रति व्यक्ति आय बढ़ने का दावा करते हैं, लेकिन जब गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) की बात आती है, तो वे 75 प्रतिशत आबादी को राशन कार्ड जारी कर देते हैं। उन्होंने चिंता जताई कि क्या वास्तविक गरीबों के लिए निर्धारित लाभ उन लोगों तक पहुंच रहे हैं, जो इसके हकदार नहीं हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि राशन कार्ड अब एक “लोकप्रियता कार्ड” बन गया है, जिसका दुरुपयोग हो रहा है। जस्टिस सूर्यकांत ने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा, “मैं अपनी जड़ों से अलग नहीं हुआ हूं। मैं हमेशा गरीबों की दिक्कतें समझना चाहता हूं।”
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी श्रमिकों को मुफ्त राशन की जरूरत है। पीठ ने इस पर जोर दिया कि सब्सिडी का लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचना चाहिए और यह सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने केंद्र से इस मामले में ठोस कदम उठाने और स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया। यह मामला गरीबी उन्मूलन और सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर एक बड़ी बहस को जन्म दे सकता है।
5. नई दिल्ली: यूपीआई से 2000 रुपये तक के लेनदेन पर छूट एक साल बढ़ी
नई दिल्ली, 19 मार्च 2025: केंद्र सरकार ने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के जरिए 2000 रुपये तक के लेनदेन को शुल्क मुक्त रखने की अवधि को एक साल के लिए और बढ़ा दिया है। यह फैसला बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। इसके साथ ही, सरकार ने मर्चेंट डिस्काउंट रेट और लागत मुक्त डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए चालू वित्तीय वर्ष और आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 1500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह योजना छोटे व्यापारियों को डिजिटल भुगतान अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है। योजना के तहत, 2000 रुपये तक के यूपीआई (पर्सन टू मर्चेंट या पी2एम) लेनदेन पर प्रति लेनदेन मूल्य का 0.15 प्रतिशत प्रोत्साहन दिया जाएगा। इस राशि की प्रतिपूर्ति तिमाही आधार पर की जाएगी ताकि व्यापारियों को नियमित लाभ मिल सके। वैष्णव ने कहा कि यह कदम न केवल डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि छोटे व्यवसायियों को भी आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा।
यह योजना भारत में कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। सरकार का मानना है कि यूपीआई जैसी तकनीक ने आम लोगों और व्यापारियों के बीच वित्तीय लेनदेन को आसान और सुरक्षित बनाया है। इस फैसले से डिजिटल इंडिया अभियान को और गति मिलने की उम्मीद है।