बिहार में 2.14 लाख से अधिक रसोइयों का ₹2000 प्रति माह मानदेय बढ़ेगा, छुट्टियों में भी मिलेगा वेतन
पटना |
बिहार में कार्यरत 2,14,510 रसोइयों और हेल्परों के लिए बड़ी खुशखबरी है। राज्य सरकार उनके मानदेय में 2,000 रुपए प्रति माह की वृद्धि करने जा रही है। साथ ही, अब उन्हें गर्मी की छुट्टियों के दौरान भी वेतन मिलेगा। शिक्षा विभाग ने मानदेय वृद्धि और कार्य अवधि बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है। इस पर फैसला पीएम पोषण प्रोग्राम अप्रूवल बोर्ड की बैठक में होगा। यदि प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो रसोइयों और हेल्परों का मासिक मानदेय 1,650 रुपए से बढ़कर 3,650 रुपए हो जाएगा और उन्हें पूरे साल वेतन मिलेगा।
पहले गर्मी की छुट्टियों में स्कूल बंद होने के दौरान उन्हें वेतन नहीं मिलता था। रसोइयों और हेल्परों को वर्ष में केवल 10 महीने ही मानदेय दिया जाता था। बिहार में 1.09 करोड़ छात्रों को मिड-डे मील दिया जाता है, जिसमें 90% स्कूलों में रसोइए भोजन बनाते हैं, जबकि 10% स्कूलों में एनजीओ द्वारा भोजन की सप्लाई होती है।
2020 के बाद से नहीं बढ़ा मानदेय
2020 के बाद से रसोइयों और हेल्परों का मानदेय नहीं बढ़ा है। केंद्र और राज्य सरकार की हिस्सेदारी के तहत अतिरिक्त राशि दी जाएगी।
प्रस्ताव स्वीकृत होने पर
- केंद्र सरकार 2,000 रुपए और राज्य सरकार 800 रुपए देगी।
- राज्य योजना मद से अतिरिक्त राशि पर फिलहाल फैसला नहीं हुआ है।
क्यों जरूरी है वेतन वृद्धि
- 60% केंद्र सरकार और 40% राज्य सरकार की हिस्सेदारी।
- अभी केंद्र सरकार 600 रुपए और राज्य सरकार 400 रुपए (कुल 1,000 रुपए) देती है।
- राज्य योजना मद से 650 रुपए मिलते हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता निराला कुमार चौधरी का कहना है कि कम वेतन के कारण रसोइयों और हेल्परों की आर्थिक स्थिति खराब है। वे स्कूल के अलावा मजदूरी करने को मजबूर हैं। गर्मी की छुट्टी के दौरान उन्हें कोई भुगतान नहीं होता, जिससे वे होटल और ढाबों में काम करने को मजबूर होते हैं।
बिहार में रसोइयों और हेल्परों की संख्या (प्रमुख जिले)
- पटना – 9,584
- भागलपुर – 8,669
- कटिहार – 11,226
- समस्तीपुर – 7,485
- मधुबनी – 9,195
- दरभंगा – 9,776
- पूर्णिया – 7,936
- पश्चिम चंपारण – 7,934
- पूर्वी चंपारण – 7,586
शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार के निर्णय के बाद मानदेय बढ़ाया जाएगा।
बिहार के सरकारी स्कूलों में लागू होगा नया कोर्स, मार्च के अंत तक पहुंचेंगी किताबें
पटना | शिक्षा संवाददाता
एक अप्रैल से बिहार के सरकारी स्कूलों में कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाया जाएगा। नई शिक्षा नीति के तहत बदले गए पाठ्यक्रम के अनुसार अब राज्य के सरकारी स्कूलों में भी सीबीएसई की तर्ज पर एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जाएंगी।
एससीईआरटी के निदेशक सज्जन आर ने बताया कि अब तक केवल सीबीएसई स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें चलती थीं, लेकिन अब राज्य के सरकारी स्कूलों में भी यही व्यवस्था लागू होगी। यह बदलाव नए सत्र यानी एक अप्रैल 2025 से कक्षा 6 से 8 में लागू होगा।
क्या रहेगा बदलाव
- एनसीईआरटी की किताबों के चैप्टर में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
- बिहार के संदर्भ में विशेष सामग्री जोड़ी गई है, जैसे – बिहार की संस्कृति, विभूतियां, पर्यटन स्थल, ऐतिहासिक स्थल आदि।
- अन्य सभी विषयवस्तु सीबीएसई के अनुरूप ही होगी।
सितंबर 2025 से नई परीक्षा प्रणाली
- कक्षा 6 से 8 की सितंबर 2025 में अर्धवार्षिक परीक्षा एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम के आधार पर होगी।
- मार्च 2026 की वार्षिक परीक्षा भी एनसीईआरटी की किताबों से ही ली जाएगी।
- शिक्षकों को इसके लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
- मार्च 2025 के अंत तक सभी स्कूलों में किताबें पहुंच जाएंगी।
2026 से कक्षा 9 से 12 में भी लागू होगी नई व्यवस्था
एससीईआरटी के निदेशक के अनुसार, वर्ष 2026 से कक्षा 9 से 12 तक में भी एनसीईआरटी किताबें लागू कर दी जाएंगी। यह बदलाव प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए छात्रों के लिए फायदेमंद साबित होगा।
सीयूईटी यूजी के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 24 मार्च, सुधार विंडो 26 से 28 मार्च तक
पटना | एजेंसी
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने सीयूईटी यूजी-2025 के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 24 मार्च तय की है। आवेदन प्रक्रिया के बाद 26 से 28 मार्च तक सुधार विंडो खोली जाएगी, जिसमें उम्मीदवार अपने आवेदन पत्र में आवश्यक बदलाव कर सकते हैं।
परीक्षा तिथि एवं अन्य जानकारी
- परीक्षा का आयोजन 8 मई से 1 जून 2025 तक किया जाएगा।
- इसमें 37 विषय शामिल होंगे और यह 13 भारतीय भाषाओं में आयोजित होगी।
- प्रत्येक टेस्ट पेपर की अवधि 60 मिनट होगी।
- परीक्षा कई शिफ्टों में आयोजित की जाएगी।
- उम्मीदवार अधिकतम 5 विषयों का चयन कर सकते हैं।
- परीक्षा शुल्क विषयों की संख्या के आधार पर तय किया जाएगा।
एमडीएम में तेल की मात्रा होगी कम, मोटापा और लिवर रोग से बचाव के लिए सरकार का फैसला
पटना | कार्यालय संवाददाता
बिहार के सरकारी स्कूलों में (कक्षा 1 से 8) मिलने वाले मध्याह्न भोजन (एमडीएम) में तेल की मात्रा में कटौती की जाएगी। बच्चों को स्वस्थ रखने और मोटापा या लिवर की बीमारियों से बचाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
क्या होगा बदलाव
- प्राइमरी (1 से 5) में प्रति बच्चे तेल की मात्रा 5 ग्राम से घटाकर 4.5 ग्राम की जाएगी।
- उच्च प्राथमिक (6 से 8) में तेल की मात्रा 7.5 ग्राम से घटाकर 6.75 ग्राम की जाएगी।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का निर्देश
- रसोइयों को कम तेल में भोजन बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- गृह विज्ञान कॉलेज के आहार विशेषज्ञ रसोइयों को इस संबंध में जागरूक करेंगे।
बिहार में एमडीएम योजना के आंकड़े
- 68,000 विद्यालय एमडीएम योजना से जुड़े हैं।
- 1.03 करोड़ बच्चों को इसका लाभ मिलता है।
- 2,14,510 रसोइए मध्याह्न भोजन तैयार करते हैं।
निष्क्रिय मोबाइल नंबरों पर यूपीआई सेवा 1 अप्रैल से होगी बंद
नई दिल्ली | एजेंसी
यूपीआई धोखाधड़ी को रोकने के लिए 1 अप्रैल से नया नियम लागू हो रहा है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने उन मोबाइल नंबरों को यूपीआई सिस्टम से हटाने का फैसला किया है जो लंबे समय से निष्क्रिय हैं।
प्रभावित होंगे ये उपयोगकर्ता
- जिनका नंबर बदल गया है लेकिन बैंक में अपडेट नहीं हुआ।
- जिनके बंद नंबर किसी अन्य को अलॉट हो चुके हैं।
बैंक खातों से जुड़े केवल सक्रिय मोबाइल नंबरों पर ही यूपीआई सेवाएं जारी रहेंगी।