अभिभावकों के समक्ष बच्चों को मिलेगा प्रगति पत्रक
संवाददाता, गया: गया जिले के 2919 प्रारंभिक विद्यालयों में पहली से आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले 58,725 छात्र-छात्राओं की वार्षिक परीक्षा पूरी हो चुकी है। इन परीक्षाओं के माध्यम से यह मूल्यांकन किया गया कि छात्र-छात्राओं ने शिक्षकों द्वारा पढ़ाए गए पाठ्यक्रम को कितना आत्मसात किया है। शिक्षा विभाग ने इस परीक्षा के लिए प्रश्न सह उत्तरपुस्तिका प्रत्येक विद्यालय को उपलब्ध कराई थी, जिससे बच्चों ने स्वतंत्र रूप से उत्तर पुस्तिका पर अपने उत्तर लिखे। परीक्षा की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए दूसरे विद्यालयों के शिक्षकों को वीक्षण कार्य में लगाया गया था।
छात्र-छात्राओं द्वारा लिखी गई उत्तर पुस्तिकाओं की जांच नगर निगम सहित जिले के 24 प्रखंडों के 3427 कॉम्प्लेक्स रिसोर्स सेंटर्स में की जा रही है। यहां अन्य विद्यालयों के शिक्षकों द्वारा छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं की निष्पक्ष जांच की जा रही है। 27 मार्च तक उत्तर पुस्तिकाओं की जांच का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
परीक्षा के परिणामों के आधार पर छात्रों को ग्रेड प्रदान किया जाएगा। जिन छात्रों को सी, डी और ई ग्रेड प्राप्त होंगे, उनके लिए विशेष रणनीति तैयार की जाएगी ताकि उनकी शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार हो सके। अभिभावकों को भी इस संबंध में सूचित किया जाएगा और उन्हें अपने बच्चों पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाएगी। वहीं, विद्यालयों में भी इन छात्रों को अतिरिक्त मार्गदर्शन दिया जाएगा ताकि वे भविष्य की परीक्षाओं में ए और बी ग्रेड प्राप्त कर सकें।
जिला शिक्षा कार्यालय ने इस संबंध में सभी विद्यालयों को निर्देश जारी किए हैं कि 29 मार्च को शिक्षक-अभिभावक बैठक आयोजित की जाए, जिसमें बच्चों को उनकी प्रगति पत्रक सौंपे जाएं। इस बैठक के माध्यम से अभिभावकों को उनके बच्चों की शैक्षणिक स्थिति के बारे में जानकारी दी जाएगी और आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
फर्जी घोषित विश्वविद्यालयों में हो रहा दाखिला, छात्रों का भविष्य संकट में
रिपोर्टर: रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा हाल ही में जारी की गई 20 फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची में आठ दिल्ली के हैं। इनमें से कुछ विश्वविद्यालय बिना किसी आधिकारिक कार्यालय, वेबसाइट या संपर्क नंबर के संचालित हो रहे हैं, जबकि कुछ वर्षों पहले बंद हो चुके हैं।
एक प्रसिद्ध समाचार पत्र की एक विशेष जांच में यह सामने आया कि कई फर्जी विश्वविद्यालय अब भी प्रवेश प्रक्रिया जारी रखे हुए हैं। विश्वकर्मा वोकेशनल यूनिवर्सिटी फॉर सेल्फ एम्प्लॉयमेंट नामक संस्थान में डिप्लोमा कोर्स में दाखिले किए जा रहे हैं, जहां पत्रकारिता में डिप्लोमा के लिए 40,000 रुपये फीस ली जा रही है।
जब टीम ने इस विश्वविद्यालय के दिए गए पते पर पहुंचकर जांच की, तो पाया कि वहां कोई कार्यालय नहीं था। आसपास के लोगों ने बताया कि इस विश्वविद्यालय को विजय सिंह महाजन और उनकी पत्नी संचालित कर रहे थे, लेकिन करीब एक वर्ष पहले उन्होंने इसे बंद कर दिया था। विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर दिए गए संपर्क नंबरों पर कॉल करने पर बताया गया कि विश्वकर्मा ओपन यूनिवर्सिटी अब विश्वकर्मा वोकेशनल यूनिवर्सिटी फॉर सेल्फ एम्प्लॉयमेंट के नाम से संचालित हो रही है और केवल डिप्लोमा कोर्स चला रही है।
यूजीसी ने छात्रों को चेतावनी दी है कि वे केवल मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों में ही प्रवेश लें और ऐसे फर्जी संस्थानों से बचें, जो बिना किसी वैध अनुमति के संचालित किए जा रहे हैं।
बिहार में बच्चों के लिए स्वास्थ्य आईडी कार्ड, दो लाख से अधिक का निःशुल्क इलाज
पटना, मुख्य संवाददाता: बिहार सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों के लिए स्वास्थ्य आईडी कार्ड योजना के अंतर्गत अब तक 3.5 लाख बच्चों के कार्ड बनाए जा चुके हैं। इस योजना के तहत दो लाख 27 हजार बच्चों को निःशुल्क इलाज मिला है, जिनमें अधिकतर एनिमिया और ईएनटी संबंधी बीमारियों से ग्रसित थे।
राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा इस योजना की नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है। मार्च के अंत तक पांच लाख बच्चों को स्वास्थ्य आईडी कार्ड उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह कार्ड डिजिटल स्वरूप में होगा, जिससे सरकारी अस्पतालों में बच्चों का निःशुल्क इलाज संभव होगा।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, अब तक बनाए गए हेल्थ आईडी कार्ड्स के जरिए सबसे ज्यादा बच्चे एनीमिया, कान-नाक-गले (ईएनटी) की समस्याओं, थैलेसीमिया, चर्म रोग, लर्निंग डिसऑर्डर, हृदय रोग और डाउन सिंड्रोम जैसी बीमारियों के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में पहुंचे हैं।
आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाओं और सहायिकाओं को निर्देश दिया गया है कि वे इस योजना को प्राथमिकता दें और प्रत्येक केंद्र पर प्रतिदिन कम से कम दस बच्चों के स्वास्थ्य आईडी कार्ड बनाए जाएं। इस पूरी प्रक्रिया की नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है ताकि जरूरतमंद बच्चों को समय पर इलाज मिल सके।
आरटीई: पहले चरण में कई बच्चों का दाखिला नहीं, दूसरे चरण की तिथि जारी
पटना, कार्यालय संवाददाता: शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत पहले चरण में कई बच्चों का नामांकन नहीं हो सका, हालांकि दूसरे चरण के लिए आवेदन प्रक्रिया 25 मार्च से 10 अप्रैल तक चलेगी।
पहले चरण में कुछ निजी स्कूलों द्वारा छात्रों का नामांकन न लेने की शिकायतें मिली थीं। ऐसे मामलों में, शिक्षा विभाग ने संबंधित स्कूलों को पत्राचार किया, लेकिन कई मामलों में अब भी दाखिला लंबित है।
दूसरे चरण में, 26 मार्च से 12 अप्रैल तक पंजीकृत छात्रों का सत्यापन होगा और 15 अप्रैल तक विद्यालय आवंटन किया जाएगा। चयनित छात्रों को 16 से 25 अप्रैल के बीच नामांकन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
अभिभावकों ने शिकायत की है कि कई निजी स्कूलों ने विभाग द्वारा आवंटित बच्चों का नामांकन लेने से इनकार कर दिया है। जिला शिक्षा कार्यालय ने इन मामलों में हस्तक्षेप किया और स्कूलों को पत्राचार भी किया, लेकिन कई मामलों में समाधान नहीं हुआ।
इससे पहले भी कई अभिभावकों ने इस बात की शिकायत की थी कि शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों को आवंटन पत्र भेजे जाने के बावजूद, स्कूलों ने बच्चों का नामांकन नहीं किया। पटना की आयुषी नाम की एक छात्रा के मामले में, स्कूल को 12 बार पत्राचार किया गया, लेकिन अब तक उसका नामांकन नहीं किया गया है।
दूसरे चरण की महत्वपूर्ण तिथियां इस प्रकार हैं:
- छात्र पंजीकरण: 25 मार्च से 10 अप्रैल 2025 तक
- पंजीकृत छात्रों का सत्यापन: 26 मार्च से 12 अप्रैल तक
- सत्यापित छात्रों का ऑनलाइन विद्यालय आवंटन: 15 अप्रैल शाम 3:30 बजे तक
- चयनित छात्रों का सत्यापन और प्रवेश: 16 से 25 अप्रैल तक
अभिभावकों को सलाह दी जाती है कि वे समय रहते आवेदन करें ताकि उनके बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।