पटना, 23 दिसंबर:
बिहार में अब शैक्षणिक स्तर पर एक नई क्रांति की शुरुआत हो रही है। राज्य के 31,297 मध्य विद्यालयों में अगले शैक्षणिक सत्र से कंप्यूटर शिक्षा लागू की जाएगी। इस पहल का नेतृत्व शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने किया है। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा निदेशालय को निर्देश देते हुए कंप्यूटर शिक्षा को पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में शामिल करने की योजना पर काम तेज करने को कहा है।
छठी से आठवीं कक्षा के छात्रों के लिए कंप्यूटर शिक्षा
पहले चरण में छठी, सातवीं और आठवीं कक्षा के छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा दी जाएगी। इसके लिए विशेष रूप से तैयार की गई किताबें छात्रों को प्रदान की जाएंगी। पाठ्यक्रम में माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, एमएस ऑफिस, एक्सेल और पावरपॉइंट जैसे बुनियादी सॉफ़्टवेयर के साथ-साथ कंप्यूटर का बेसिक ज्ञान शामिल होगा।
दूसरे चरण में प्राथमिक विद्यालयों तक विस्तार
दूसरे चरण में यह पहल तीसरी, चौथी और पांचवीं कक्षा के छात्रों के लिए भी लागू की जाएगी। शिक्षा विभाग के अनुसार, धीरे-धीरे सभी 40,566 प्राथमिक विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा को लागू किया जाएगा। इस योजना के तहत राज्य के सभी 71,863 प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।
तकनीकी शिक्षकों की नियुक्ति और बजट की व्यवस्था
कंप्यूटर शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए विशेष कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। इसके अलावा, छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए एक्सपर्ट्स भी शामिल किए जाएंगे। केंद्र सरकार की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत कंप्यूटर शिक्षा पर जोर दिया गया है। इसी के तहत शिक्षा विभाग ने इस योजना के लिए बजट में विशेष प्रावधान करने की घोषणा की है।
दूर-दराज के इलाकों तक पहुंच का प्रयास
इस योजना का मुख्य उद्देश्य केवल शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसे दूर-दराज के इलाकों में भी पहुंचाना है। शिक्षा विभाग इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन शिक्षा और तकनीकी संसाधनों की उपलब्धता बढ़ाने पर भी काम कर रहा है।
बिहार के बच्चों के लिए नया अवसर
यह योजना राज्य के एक करोड़ से अधिक छात्रों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाएगी। यह पहल शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकती है, जहां छात्र डिजिटल तकनीकों को अपनाकर बेहतर भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकेंगे।
निष्कर्ष
बिहार सरकार की इस पहल से न केवल छात्रों को तकनीकी ज्ञान मिलेगा, बल्कि उनकी रोजगार क्षमता भी बढ़ेगी। शिक्षा विभाग का यह कदम बिहार के शैक्षणिक क्षेत्र में एक ऐतिहासिक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।