71 हजार प्रारंभिक विद्यालयों को ई-शिक्षाकोष से मिलेंगे प्रश्नपत्र
पटना। राज्य के लगभग 71 हजार प्रारंभिक विद्यालयों के लिए शिक्षा विभाग ने एक बड़ी पहल की है। अब मासिक, प्रथम त्रैमासिक एवं द्वितीय त्रैमासिक परीक्षा के प्रश्नपत्र, साथ ही जून माह का असाइनमेंट वर्क ‘ई-शिक्षाकोष पोर्टल’ के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। इस कदम से शिक्षकों और विद्यार्थियों को एक समान स्रोत से गुणवत्तापूर्ण प्रश्नपत्र मिलेंगे और परीक्षा की पारदर्शिता बनी रहेगी।
राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) ने इस संबंध में राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों और जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (SSA) को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। परिषद का उद्देश्य है कि सरकारी और सहायता प्राप्त प्रारंभिक विद्यालयों के छात्रों की परीक्षा एकीकृत प्रणाली से कराई जाए।
गर्मी की छुट्टियों से पहले बच्चों को गृहकार्य भी दिया जाएगा, जिससे वे छुट्टियों के दौरान भी पढ़ाई से जुड़े रहें। मई में मासिक परीक्षा, जून में प्रथम त्रैमासिक परीक्षा, जुलाई व अगस्त में मासिक परीक्षाएं, सितंबर में अर्धवार्षिक परीक्षा, अक्तूबर व नवंबर में पुनः मासिक परीक्षाएं, दिसंबर में द्वितीय त्रैमासिक परीक्षा तथा जनवरी-फरवरी में मासिक परीक्षा कराने की योजना बनाई गई है।
6421 विद्यालय सहायकों की नियुक्ति प्रक्रिया जून तक पूरी होगी
पटना। राज्य सरकार ने उच्च माध्यमिक विद्यालयों में शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यों को सुचारू बनाने के लिए 6421 विद्यालय सहायकों की नियुक्ति का निर्णय लिया है। इन पदों की स्वीकृति पहले से दी जा चुकी थी, और अब शिक्षा विभाग ने इन पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इनमें से 50% पदों पर सीधी नियुक्ति की जाएगी, जबकि शेष 50% पद अनुकम्पा के आधार पर उन दिवंगत शिक्षक-कर्मियों के आश्रितों को दिए जाएंगे, जो सेवा काल में निधन को प्राप्त हो गए। अनुकम्पा नियुक्ति जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति की अनुशंसा पर की जाएगी।
सीधी भर्ती राज्य कर्मचारी चयन आयोग द्वारा लिखित परीक्षा के माध्यम से की जाएगी। शिक्षा विभाग द्वारा नियमावली का ड्राफ्ट तैयार कर वित्त विभाग को भेज दिया गया है। वित्त विभाग की सहमति के बाद यह विधि विभाग व कैबिनेट से अनुमोदित करवा लिया जाएगा। अनुमान है कि यह पूरी प्रक्रिया जून माह के अंत तक पूरी कर ली जाएगी।
अब अंग्रेजी पढ़ाई की अनिवार्यता खत्म, बच्चों की भाषा में ही होगी पढ़ाई
पटना। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए छोटे बच्चों की पढ़ाई को उनकी मातृभाषा या समझने योग्य भाषा में कराने की अनुशंसा की है। अब फाउंडेशनल और प्री-प्रेपरेटरी स्तर (बालवाटिका से कक्षा 5 तक) पर पढ़ाई स्थानीय भाषा में कराई जाएगी।
यह निर्णय राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) के तहत लागू किया गया है। बोर्ड ने सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों को इस नियम के क्रियान्वयन के लिए पत्र भेजा है। गर्मी की छुट्टियों के बाद इसके लागू होने की पूरी तैयारी है और इसके लिए कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।
हर स्कूल को मासिक रिपोर्ट भेजनी होगी कि उन्होंने इस प्रणाली को कितना प्रभावी ढंग से लागू किया है। रिपोर्ट भेजने की अंतिम तारीख हर महीने की पांच तारीख निर्धारित की गई है। इसके लिए गूगल शीट का एक निर्धारित फॉर्मेट भी स्कूलों को दिया जाएगा।
क्या करेगी राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा समिति: यह समिति यह सुनिश्चित करेगी कि मातृभाषा में पढ़ाई की व्यवस्था प्रभावी रूप से लागू हो रही है या नहीं। साथ ही यह समिति भाषा संसाधनों की उपलब्धता और पाठ्यक्रम समायोजन में मार्गदर्शन भी करेगी।
हर दिन मिड डे मील की रिपोर्ट अपलोड करना अनिवार्य
पटना। राज्य के 71,567 प्रारंभिक विद्यालयों में मिड डे मील (मध्याह्न भोजन योजना) के संचालन को और पारदर्शी एवं जवाबदेह बनाने के लिए शिक्षा विभाग ने सख्त कदम उठाए हैं। अब प्रत्येक विद्यालय को यह रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड करनी होगी कि कितने बच्चों ने भोजन किया और कितने अनुपस्थित रहे।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि योजना में लापरवाही और फर्जी उपस्थिति की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। खासतौर पर केंद्रीकृत रसोईघर से मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता को लेकर भी कई बार शिकायतें आई हैं।
इस बार केवल प्रधानाध्यापक पर नहीं, बल्कि जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (DPO), जिला कार्यक्रम प्रबंधक और प्रखंड साधनसेवी को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा। यदि निर्धारित मेन्यू का पालन नहीं होता या छात्रों की अपेक्षा भोजन की आपूर्ति कम पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
2200 टोला सेवकों की नियुक्ति जून के अंत तक होगी पूरी
पटना। बिहार के टोला और दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षा को मजबूत करने के लिए शिक्षा विभाग ने एक बार फिर से शिक्षा सेवकों या टोला सेवकों की नियुक्ति प्रक्रिया तेज कर दी है। जून के अंत तक करीब 2200 शिक्षा सेवकों की नियुक्ति पूरी हो जाएगी।
इन सेवकों की नियुक्ति अक्षर आंचल योजना के तहत की जाती है, जिसका उद्देश्य दलित, महादलित, अल्पसंख्यक और अतिपिछड़ा वर्ग के बच्चों को शिक्षा से जोड़ना है। इनका काम न केवल बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करना है, बल्कि उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करना और पढ़ाई में आने वाली कठिनाइयों को दूर करना भी है।
टोला सेवक अभिभावकों से संवाद स्थापित करके उन्हें बच्चों की शिक्षा के महत्व से अवगत कराते हैं और सरकारी योजनाओं की जानकारी भी देते हैं। खासकर ऐसे बच्चे जो सामाजिक, आर्थिक या भौगोलिक कारणों से स्कूल नहीं जा पाते, उनके लिए टोला सेवक एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं।
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