पटना, 20 मार्च 2025 – बिहार में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, राज्य सरकार ने सरकारी, राजकीयकृत और प्रोजेक्ट संचालित कन्या माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 2,857 प्रधानाध्यापक पदों के सृजन को मंजूरी दी है। यह निर्णय बिहार शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश संख्या 11/विद 11-177/2024 के तहत लिया गया है, जिसे 25 फरवरी 2025 को राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में स्वीकृति मिली। इसका उद्देश्य स्कूलों में कर्मचारी कमी को दूर करना और प्रशासनिक निगरानी को बेहतर करना है।
पत्र
आदेश के प्रमुख बिंदु
- पदों का प्रतिस्थापन और सृजन:
- इस आदेश के तहत पहले से स्वीकृत लेकिन रिक्त 1,539 प्रधानाध्यापक पदों को प्रतिस्थापित किया जा रहा है।
- इसके अलावा, वर्तमान में कार्यरत 1,318 पदों को “मरणशील” (डाइंग कैडर) घोषित किया गया है, जिसका अर्थ है कि ये पद वर्तमान कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने के बाद क्रमिक रूप से नए पदों से बदल दिए जाएंगे। यह प्रक्रिया “बिहार राज्य उच्च माध्यमिक विद्यालय प्रधानाध्यापक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवा शर्तें) नियमावली, 2021” के तहत होगी।
- कुल 2,857 पदों में 1,539 रिक्त पद और 1,318 प्रतिस्थापित होने वाले पद शामिल हैं।
- वर्तमान कर्मचारी स्थिति:
- दस्तावेज के अनुसार, वर्तमान में राजकीयकृत और प्रोजेक्ट कन्या स्कूलों में राज्य संवर्ग के 434 प्रधानाध्यापक और 930 सहायक शिक्षक कार्यरत हैं। इन 930 सहायक शिक्षकों में से 884 भविष्य में प्रधानाध्यापक पद के लिए प्रोन्नति के पात्र हैं, जबकि 46 ने शपथ पत्र देकर प्रोन्नति से इंकार किया है।
- 2,786 ऐसे स्कूलों में से 1,468 में प्रधानाध्यापक के पद खाली हैं। इसके अलावा, 71 सरकारी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में भी प्राचार्य के पद रिक्त हैं।
- भर्ती प्रक्रिया:
- सभी 2,857 पदों को सीधी भर्ती के माध्यम से भरा जाएगा, जिसके लिए बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) लिखित परीक्षा आयोजित करेगा और पात्र उम्मीदवारों का चयन करेगा।
- शिक्षा विभाग बीपीएससी की अनुशंसा को प्रमंडल स्तर के क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशकों को भेजेगा, जो इन संवर्ग के प्रधानाध्यापकों के नियुक्ति प्राधिकारी होंगे।
- वित्तीय प्रभाव:
- इन प्रधानाध्यापकों का मूल वेतन ₹35,000 प्रति माह निर्धारित किया गया है, साथ ही राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर दिए जाने वाले भत्ते (महंगाई, चिकित्सा और मकान किराया भत्ता) शामिल होंगे।
- 2,857 पदों के लिए अनुमानित वार्षिक व्यय ₹228.33 करोड़ (₹2,28,33,14,400) होगा, जो वर्तमान में कार्यरत प्रधानाध्यापकों के वेतन पर होने वाले ₹212.80 करोड़ (₹2,12,80,90,248) के वार्षिक खर्च के समकक्ष है।
- भुगतान वित्त विभाग द्वारा पहले से निर्धारित बजट शीर्ष और कोड के तहत होगा।
- कार्यान्वयन:
- नवसृजित पदों को शिक्षा विभाग द्वारा आवश्यकतानुसार प्रमंडलों में आवंटित किया जाएगा, और क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक इन पदों को स्कूलों में जरूरत के अनुसार वितरित करेंगे।
- यह आदेश 2021 नियमावली के प्रावधानों का पालन करता है, जो नियुक्ति, स्थानांतरण और अनुशासनिक कार्रवाइयों के लिए एक संरचित ढांचा प्रदान करता है।
इस कदम का महत्व
यह निर्णय बिहार के माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा प्रणाली में लंबे समय से चली आ रही प्रशासनिक रिक्तियों को संबोधित करता है, खासकर ग्रामीण पंचायतों में जहां कई स्कूलों में समर्पित नेतृत्व की कमी है। इन पदों के सृजन से स्कूल प्रबंधन में सुधार, शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि और एकीकृत राज्य संवर्ग ढांचे के तहत संचालन को सुव्यवस्थित करने की उम्मीद है।
शिक्षा सचिव अजय यादव, जिन्होंने बिहार के राज्यपाल की ओर से आदेश पर हस्ताक्षर किए, ने जोर देकर कहा कि यह कदम राज्य की शैक्षिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है। बीपीएससी की भागीदारी से चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ने की संभावना है।
अगले कदम
शिक्षा विभाग ने संबंधित कोषागार अधिकारियों, जिला अधिकारियों और माध्यमिक शिक्षा निदेशकों को सूचना और आवश्यक कार्रवाई के लिए आदेश की प्रतियां भेजी हैं। भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू होने की उम्मीद है, और हितधारकों का अनुमान है कि मई 2025 तक प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति पूरी हो सकती है, हालांकि प्रशासनिक या कानूनी चुनौतियों के कारण देरी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
यह विकास नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा शैक्षिक कर्मचारी जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक सक्रिय कदम है, जो संभवतः बिहार के स्कूल सिस्टम में आगे सुधारों का मार्ग प्रशस्त करेगा।