शिक्षा व्यवस्था में नई सख्ती और सुधार: शिक्षकों की निगरानी, एमडीएम की नयी जिम्मेवारी, थीम आधारित पीटीएम और डिजिटल प्लेटफॉर्म की क्रांति
पटना, 4 मई। बिहार की शिक्षा व्यवस्था में अनुशासन, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा विभाग और जिला शिक्षा कार्यालयों द्वारा कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। ये निर्णय न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में सहायक होंगे, बल्कि सरकारी स्कूलों के कार्य संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही भी लाएंगे। शिक्षक की उपस्थिति, मध्याह्न भोजन की व्यवस्था, शिक्षकों की जिम्मेदारी और अभिभावक-शिक्षक संवाद जैसी व्यवस्थाओं में इन नई पहलों से व्यापक सुधार की उम्मीद है।
शिक्षक हाजिरी बनाकर स्कूल से नहीं हो सकते गायब, सीधे होगी निलंबन की कार्रवाई
शिक्षा विभाग को लगातार यह शिकायतें मिल रही थीं कि कई शिक्षक ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने के बाद स्कूल से गायब हो जाते हैं या फिर स्कूल परिसर से बाहर जाकर व्यक्तिगत कार्यों में व्यस्त रहते हैं। विशेष रूप से ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां शिक्षक स्कूल के नजदीक रहते हुए भी विद्यालय नहीं जाते और ऑनलाइन हाजिरी बनाकर घर पर ही रहते हैं। इस गंभीर गड़बड़ी को देखते हुए जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा कड़े निर्देश जारी किए गए हैं।
जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अब यदि कोई शिक्षक उपस्थिति दर्ज करने के बाद स्कूल में नहीं पाया जाता है तो उसे बिना किसी पूर्व सूचना के तत्काल निलंबित कर दिया जाएगा। प्रधानाध्यापकों और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि वे निरंतर निगरानी रखें और ऐसे शिक्षकों की पहचान कर विभाग को सूचना दें।
इस संदर्भ में ‘ई-शिक्षा कोष’ पोर्टल को एक प्रभावी माध्यम के रूप में सक्रिय किया गया है। किसी भी शिक्षक की अनुपस्थिति, स्कूल में मौजूद समस्याएं या शिक्षण कार्य में किसी तरह की बाधा की शिकायत अब सीधे इस पोर्टल पर की जा सकती है। यह पोर्टल शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने और हर स्तर पर निगरानी सुनिश्चित करने का माध्यम बनता जा रहा है।
हाजिरी के बाद स्कूल से गायब हुए तो सीधे सस्पेंशन
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. सिद्धार्थ को यह शिकायत मिली थी कि कई शिक्षक ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कर लेने के बाद स्कूल नहीं जाते और कुछ तो बाजार में समय बिताते हैं। इस पर विभाग ने तुरंत एक्शन लिया है और जिला शिक्षा कार्यालयों को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि ऐसे शिक्षकों को चिन्हित कर उन पर कार्रवाई की जाए। जिला शिक्षा कार्यालय ने बताया है कि अब शिक्षकों की हाजिरी की स्थिति और वास्तविक उपस्थिति की निगरानी की जाएगी। इसमें प्रधानाध्यापक, बीईओ और निरीक्षण अधिकारी भी शामिल रहेंगे।
प्राथमिक स्कूलों में एमडीएम की जिम्मेदारी अब अन्य शिक्षकों को
शिक्षा विभाग ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए यह तय किया है कि अब मध्याह्न भोजन योजना (एमडीएम) के संचालन की जिम्मेदारी प्रधानाध्यापकों या प्रधान शिक्षकों के स्थान पर किसी अन्य शिक्षक को सौंपी जाएगी। इसका उद्देश्य यह है कि प्रधानाध्यापक स्कूल की शैक्षणिक गतिविधियों पर अधिक फोकस कर सकें और प्रशासनिक झंझटों से उनका ध्यान न बंटे।
इस संबंध में सभी जिलों के शिक्षा पदाधिकारियों और डीपीओ (एमडीएम) को निर्देश दिए गए हैं। 13 मई से 13 जून तक पूरे बिहार में इसका पायलट प्रोजेक्ट चलाया जाएगा। प्रत्येक जिले से एक-एक प्रखंड को इस प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। भागलपुर जिले में गोपालपुर प्रखंड को चुना गया है, जहां 56 स्कूलों में एमडीएम योजना का संचालन हो रहा है। इस पहल से शिक्षा व्यवस्था में कार्य विभाजन बेहतर होगा और प्रधानाध्यापक अपने मूल कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
अब थीम आधारित पीटीएम होगी हर माह
शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने और अभिभावकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी (PTM) को एक नई दिशा दी है। अब पहली कक्षा से लेकर बारहवीं तक के सभी सरकारी स्कूलों में प्रत्येक माह के अंतिम सोमवार को थीम आधारित पीटीएम आयोजित की जाएगी।
विभाग ने वर्ष 2025-26 के लिए वार्षिक कैलेंडर भी जारी कर दिया है, जिसमें हर माह की पीटीएम के लिए एक थीम तय की गई है। इसका उद्देश्य सभी स्कूलों में पीटीएम को एक समान और प्रभावी बनाना है। विभाग के अनुसार अब प्रत्येक माह के लिए एक निर्धारित विषय पर स्कूलों में चर्चा होगी, जिससे बच्चों के समग्र विकास, स्वास्थ्य, उपस्थिति, परीक्षा की तैयारी, व्यावसायिक कौशल, खेल-कूद आदि पर संवाद और समाधान हो सकेगा।
2025-26 के लिए थीम आधारित पीटीएम का वार्षिक कैलेंडर:
- 31 मई: पढ़ेंगे, बढ़ेंगे और सीखेंगे हम
- 28 जून: उपस्थिति और सरकारी योजनाएं
- 26 जुलाई: व्यावसायिक कौशल, स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण
- 30 अगस्त: खेलो और सीखो
- 27 सितंबर: निपुण बनेगा बिहार हमारा
- 25 अक्टूबर: छठ और दीपावली की तैयारी
- 24 दिसंबर: हर बच्चा श्रेष्ठ बच्चा
- 31 जनवरी: हम और आप मिलकर करेंगे बच्चों का समग्र विकास
- 28 फरवरी: परीक्षा की तैयारी, हमारी जिम्मेदारी
29 नवंबर को छुट्टी के कारण पीटीएम नहीं होगी।
इस वार्षिक कैलेंडर को लेकर प्राथमिक शिक्षा निदेशक विनायक मिश्र ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र जारी किया है। प्रत्येक माह की पीटीएम से पहले राज्य स्तर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानाध्यापकों को उस माह की थीम पर विस्तृत मार्गदर्शन दिया जाएगा।
पीटीएम में होगा परिचय, संवाद और समाधान
पीटीएम को और प्रभावी बनाने के लिए कुछ विशेष दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं। शिक्षक अभिभावकों का स्वागत करेंगे और उनसे विद्यालय की गतिविधियों और सुविधाओं के अनुभव साझा करने को कहेंगे। शिक्षक भ्रमण के दौरान जिन सुविधाओं की जानकारी ली जाती है – जैसे बेंच, डेस्क, चाक, डस्टर आदि – उनकी उपलब्धता की समीक्षा की जाएगी। यदि इन उपस्करों की खरीद के लिए राशि की कमी है, तो पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि बच्चों की संख्या के आधार पर स्कूलों को ग्रांट दिया गया है और उक्त राशि से उपस्कर खरीदे जा सकते हैं।
ECINET ऐप: चुनाव आयोग की बड़ी पहल
भारत निर्वाचन आयोग ने भी डिजिटल युग में एक बड़ी पहल की है। चुनाव प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से आयोग 40 से अधिक ऐप्स को एकीकृत करते हुए नया प्लेटफॉर्म ‘ECINET’ लॉन्च करने जा रहा है। इस ऐप का अभी परीक्षण चल रहा है और जल्द ही इसे देशभर में लागू किया जाएगा।
ECINET ऐप के जरिए मतदाता, निर्वाचन अधिकारी और राजनीतिक दल एक ही प्लेटफॉर्म पर सभी आवश्यक सुविधाएं प्राप्त कर सकेंगे। इसमें वोटर हेल्पलाइन, वोटर टर्नआउट, सी-विजिल, सुविधा 2.0, सक्षम आदि को समाहित किया जाएगा। अब अलग-अलग ऐप डाउनलोड करने और लॉगिन करने की आवश्यकता नहीं होगी। केवल अधिकृत निर्वाचन अधिकारी ही डेटा प्रविष्ट कर सकेंगे, जिससे डेटा की सुरक्षा और प्रमाणिकता सुनिश्चित होगी।
चुनाव आयोग का कहना है कि विवाद की स्थिति में केवल ECINET पर प्रविष्ट विधिक प्रपत्रों के आंकड़े ही मान्य माने जाएंगे। यह ऐप पहले से डाउनलोड किए गए 5.5 करोड़ से अधिक ऐप्स की जगह लेगा और इसे उपयोगकर्ता के लिए सरल और सुविधाजनक बनाया गया है।
निष्कर्ष: शिक्षा और प्रशासन में डिजिटल और नीतिगत बदलावों की शुरुआत
बिहार के शिक्षा विभाग और भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उठाए गए ये कदम प्रशासनिक सुधार और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। चाहे वह शिक्षक की उपस्थिति की सख्त निगरानी हो, एमडीएम की जिम्मेवारी में बदलाव हो, थीम आधारित पीटीएम की कार्ययोजना हो या फिर एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म ECINET की शुरुआत — ये सभी पहल भविष्य की सशक्त, पारदर्शी और समर्पित प्रशासनिक व्यवस्था की नींव रखने वाले हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इन सुधारात्मक पहलों को जमीन पर कैसे लागू किया जाता है और इनसे आम छात्रों, शिक्षकों और नागरिकों को कितना लाभ मिल पाता है।
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