*पटना, ब्यूरो।*
शिक्षा विभाग ने बिहार के स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बहाल करने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं, जिसमें प्रधानाध्यापकों को विशेष रूप से जवाबदेह बनाया जा रहा है। यह कदम शिक्षा के स्तर को सुधारने और बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है। शिक्षा विभाग ने विभिन्न उपायों और कार्यक्रमों के माध्यम से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि छात्रों को उनकी जरूरतों के अनुरूप शिक्षा मिले और वे अपने शैक्षणिक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें।
### शिक्षा सुधार के प्रमुख कदम
#### 1. **मिशन दक्ष और मासिक मूल्यांकन**
शिक्षा विभाग ने ‘मिशन दक्ष’ के तहत विभिन्न पहल शुरू की हैं। इस मिशन का उद्देश्य बच्चों की शैक्षणिक दक्षता को बढ़ाना और उनकी समझ को मजबूत करना है। मासिक मूल्यांकन के माध्यम से बच्चों की प्रगति की नियमित निगरानी की जा रही है। यह मूल्यांकन शिक्षकों को यह समझने में मदद करता है कि बच्चे कहां पर संघर्ष कर रहे हैं और किन क्षेत्रों में उन्हें अधिक सहायता की आवश्यकता है।
#### 2. **होमवर्क और अध्ययन सामग्री**
बच्चों को नियमित रूप से होमवर्क देने और उसकी निगरानी करने के निर्देश भी दिए गए हैं। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि होमवर्क न केवल बच्चों के लिए शैक्षणिक अभ्यास का एक हिस्सा बने, बल्कि उनके सीखने की प्रक्रिया को भी सुदृढ़ करे। प्रधानाध्यापकों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे यह देखें कि सभी शिक्षक समय पर और सही ढंग से बच्चों को होमवर्क दे रहे हैं या नहीं।
### प्रधानाध्यापकों की भूमिका
#### 1. **नियमित निगरानी और समीक्षा**
प्रधानाध्यापक नियमित रूप से यह सुनिश्चित करेंगे कि शिक्षक बच्चों को पाठ्यक्रम के अनुरूप पढ़ा रहे हैं। वे यह भी देखेंगे कि विभाग द्वारा निर्धारित जिम्मेदारियों का पालन हो रहा है या नहीं। इसके लिए प्रधानाध्यापक को शिक्षकों की कक्षाओं का निरीक्षण करना, उनकी शिक्षण विधियों का मूल्यांकन करना और बच्चों की प्रतिक्रिया प्राप्त करना शामिल है।
#### 2. **शिक्षकों का मूल्यांकन**
जो शिक्षक बच्चों को सही ढंग से नहीं पढ़ा रहे हैं, उन्हें चिह्नित करने और उनकी रिपोर्ट बनाने की जिम्मेदारी भी प्रधानाध्यापकों को सौंपी गई है। जरूरत पड़ने पर ऐसे शिक्षकों के लिए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी, ताकि वे अपनी शिक्षण विधियों में सुधार कर सकें और बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान कर सकें।
### विभागीय समीक्षा बैठकें
शिक्षा विभाग द्वारा नियमित रूप से जिलों की समीक्षा बैठकें आयोजित की जा रही हैं, जिसमें प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को दिए गए निर्देशों की समीक्षा की जाती है। इन बैठकों में शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जाती है, जैसे कि पाठ्यक्रम की प्रगति, शिक्षण विधियों की प्रभावशीलता, और छात्रों की शैक्षणिक प्रगति।
#### 1. **डीएम के निर्देश**
पटना के डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने समीक्षा बैठकों में विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि शिक्षकों की लेटलतीफी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और शिक्षक एवं कर्मी समय पर स्कूल आएं। उन्होंने अतिरिक्त वर्ग, शौचालय और विद्यालय भवनों के निर्माण कार्य की समीक्षा करते हुए 15 अगस्त तक सभी निर्माण कार्य पूरा करने का निर्देश दिया।
#### 2. **एफएलएन और एलईपी किट वितरण**
बैठक में एफएलएन (फाउंडेशन लिटरेसी एंड न्यूमरेसी) और एलईपी (लर्निंग इन्हेंसमेंट प्रोग्राम) के किट वितरण की भी समीक्षा की गई। पाया गया कि पहली से पांचवीं कक्षा के केवल 80% किट ही विद्यालय पहुंच पाए हैं, जिनमें से मात्र 52% छात्रों को ही किट मिल पाए हैं। डीएम ने डीईओ को तीन दिनों के भीतर शत-प्रतिशत बच्चों को किट वितरण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
### कस्तूरबा विद्यालयों में सुधार
#### 1. **डिजिटल लर्निंग बोर्ड और ओपेन जिम**
डीएम ने कस्तूरबा विद्यालयों में डिजिटल लर्निंग बोर्ड और ओपेन जिम की स्थापना में तेजी लाने के निर्देश दिए। डिजिटल लर्निंग बोर्ड छात्रों के लिए इंटरैक्टिव और उन्नत शिक्षण संसाधन प्रदान करेंगे, जिससे उनकी शिक्षा अनुभव और बेहतर होगा।
#### 2. **उच्च गुणवत्ता वाले बेंच और डेस्क**
कस्तूरबा विद्यालयों में उच्च गुणवत्ता वाले बेंच और डेस्क की व्यवस्था की जाएगी। यह सुनिश्चित करेगा कि छात्रों को बैठने और लिखने के लिए एक आरामदायक और सुविधाजनक वातावरण मिले। इससे उनकी एकाग्रता और शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार होगा।
### निरीक्षण और रिपोर्टिंग
#### 1. **पदाधिकारियों की निरीक्षण**
स्कूल निरीक्षण के दौरान पदाधिकारी बच्चों की कॉपियां और उनकी उपस्थिति की जांच करेंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बच्चों को नियमित रूप से होमवर्क दिया जा रहा है और उनकी उपस्थिति सही तरीके से दर्ज की जा रही है। पदाधिकारी यह भी देखेंगे कि नामांकित बच्चों की संख्या और उनकी उपस्थिति की स्थिति क्या है।
#### 2. **लापरवाही पर कार्रवाई**
पदाधिकारियों की रिपोर्ट की समीक्षा के लिए विभाग के स्तर पर एक कोषांग गठित किया गया है। रिपोर्ट में किसी भी स्तर पर लापरवाही पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि सभी स्तरों पर जिम्मेदारी और पारदर्शिता बनी रहे।
### छात्र-अभिभावक-शिक्षक संवाद
डीएम ने छात्र-अभिभावक और शिक्षकों के बीच नियमित संवाद पर जोर देते हुए कहा कि यह शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए आवश्यक है। यह संवाद यह सुनिश्चित करेगा कि बच्चों की शैक्षणिक आवश्यकताओं और समस्याओं को समय पर पहचाना और संबोधित किया जा सके।
### निष्कर्ष
शिक्षा विभाग का यह कदम बिहार के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने और सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। प्रधानाध्यापकों को जवाबदेह बनाकर, शिक्षकों की नियमित निगरानी और मूल्यांकन, और बच्चों की शिक्षा सामग्री की सटीक वितरण सुनिश्चित कर, विभाग ने शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए एक ठोस आधार स्थापित किया है। डीएम का कड़ा रुख और सख्त निर्देश शिक्षकों और कर्मियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि समय पर काम करना और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना अनिवार्य है। इस पहल से उम्मीद है कि बिहार के स्कूलों में शिक्षा का स्तर और बेहतर होगा और बच्चे अपने शैक्षणिक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकेंगे।